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क़तील शिफ़ाई की ग़ज़ल- किया इश्क था जो

क़तील शिफ़ाई
                
                                                                                 
                            किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई बन गया
                                                                                                

यारो तमाम शहर तमाशाई बन गया

बिन माँगे मिल गए मेरी आँखों को रतजगे
मैं जब से एक चाँद का शैदाई बन गया
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3 days ago

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😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
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