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मोहम्मद अल्वी: ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा, अब उसे दिल से निकाला चाहिए

mohammad alvi ghazal raat ke munh par ujala chahiye
                
                                                                                 
                            

रात के मुँह पर उजाला चाहिए


चोर के घर में भी ताला चाहिए

ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा
अब उसे दिल से निकाला चाहिए

पाँव में जूती न हो तो कुछ नहीं
हाँ मगर एक-आध छाला चाहिए

हाथ फैलाने से कुछ मिलता नहीं
भीक लेने को पियाला चाहिए

याद उन की यूँ न जाएगी उसे
कुछ बहाना कर के टाला चाहिए

शायरी माँगे है पूरा आदमी
अब उसे भी मोंछ वाला चाहिए

11 months ago

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