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कृष्ण बिहारी 'नूर' की ग़ज़ल- नज़र मिला न सके उससे

कृष्ण बिहारी 'नूर'
                
                                                                                 
                            नज़र मिला न सके उससे उस निगाह के बाद।
                                                                                                

वही है हाल हमारा जो हो गुनाह के बाद।

मैं कैसे और किस सिम्त मोड़ता ख़ुद को,
किसी की चाह न थी दिल में, तिरी चाह के बाद।
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1 month ago

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