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Jaun Elia Poetry: रूह प्यासी कहाँ से आती है, ये उदासी कहाँ से आती है

jaun elia ghazal rooh pyaasi kahan se aati hai ye udaasi kahan se aati hai
                
                                                         
                            
रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है

है वो यक-सर सुपुर्दगी तो भला
बद-हवासी कहाँ से आती है

वो हम-आग़ोश है तो फिर दिल में
ना-शनासी कहाँ से आती है

एक ज़िंदान-ए-बे-दिली और शाम
ये सबा सी कहाँ से आती है

तू है पहलू में फिर तिरी ख़ुश्बू
हो के बासी कहाँ से आती है

दिल है शब-सोख़्ता सो ऐ उम्मीद
तू निदा सी कहाँ से आती है

मैं हूँ तुझ में और आस हूँ तेरी
तो निरासी कहाँ से आती है
3 महीने पहले

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