जुदाई याद आती है सुकूँ दिन भर नहीं मिलता
मैं जिसको चाहता हूँ वो मुझे अक्सर नहीं मिलता
जुदा जब मैं हुआ उनसे तो मुझको ये समझ आया
जो घर पर प्यार मिलता है किसी दर पर नहीं मिलता
ग़लत रस्ता दिखाने को बहुत से लोग मिलते हैं
सही गर रास्ता हो तो कोई रहबर नहीं मिलता
गुज़ारो ग़म के दिन हँसकर मगर ये जान लो यारों
सुकूँ जो रो के मिलता है कभी हँसकर नहीं मिलता
इरादे साफ़ रखकर जो ग़रीबों का भला कर दे
मुझे इस मुल्क में ऐसा कोई लीडर नहीं मिलता
मिला है गर तुझे ’वर्धन’ तो बेशक प्यार करती है
किसी को इतनी जल्दी फ़ोन का नम्बर नहीं मिलता
पुकारें लाख हम जिनको वो तन्हा छोड़ देते हैं
पुकारें लाख हम जिनको वो तन्हा छोड़ देते हैं
चलो हम साथ मिलकर ये ज़माना छोड़ देते हैं
बहुत पाने की चाहत में जो थोड़ा छोड़ देते हैं
बड़े होकर वो रिश्तों को निभाना छोड़ देते हैं
वो जो अहल ए जहाँ के आँसू बिन पोछे नही रहते
मेरी आँखो के अश्कों को वो बहता छोड़ देते हैं
ख़ुशी के शाम मे नईं हो उदासी तेरे चेहरे पर
जा अब हम भी तेरी गलियों में आना छोड़ देते हैं
मुझे उस किस्म के घर में कभी अच्छा नहीं लगता
जहाँ बूढ़ों की इज्ज़त लोग करना छोड़ देते हैं
वो अपनी ज़िंदगी में हमसफ़र कुछ यूँ बदलते हैं
नया गर मिल गया कोई पुराना छोड़ देते हैं
यही बस इक ग़लतफ़हमी में वो हर रोज़ पीते हैं
जो पीना छोड़ देते हैं वो जीना छोड़ देते हैं
मेरे सीने पे खंजर चला दीजिए
मेरे सीने पे खंजर चला दीजिए
बेवफ़ाई की मुझको सज़ा दीजिए
मौत है कि बुलाने पे आती नहीं
ख़ुदकुशी का मुझे रास्ता दीजिए
आपकी ग़लतियों को भुलाया था मैं
मेरी गुस्ताख़ियों को भुला दीजिए
मेरे हक़ में हैं लाखों दुआएँ मगर
आप मुझको मुद्दा-ए-दुआ दीजिए
मेरी मय्यत सजाने आई थी वो
बात ये दोस्तों को बता दीजिए
मेरे बच्चों को यूँ आप मत डाँटिए
जो सुनाना है, मुझको सुना दीजिए
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पुकारें लाख हम जिनको वो तन्हा छोड़ देते हैं
1 week ago
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