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Hafeez Jalandhari Poetry: दोस्ती का चलन रहा ही नहीं

उर्दू अदब
                
                                                         
                            दोस्ती का चलन रहा ही नहीं 
                                                                 
                            
अब ज़माने की वो हवा ही नहीं 

सच तो ये है सनम-कदे वालो 
दिल ख़ुदा ने तुम्हें दिया ही नहीं 

पलट आने से हो गया साबित 
नामा-बर तू वहाँ गया ही नहीं 

हाल ये है कि हम ग़रीबों का 
हाल तुम ने कभी सुना ही नहीं 

क्या चले ज़ोर दश्त-ए-वहशत का 
हम ने दामन कभी सिया ही नहीं  आगे पढ़ें

एक महीने पहले

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