बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
~ उमैर नजमी
वो तेरे बिछड़ने का समाँ याद जब आया
बीते हुए लम्हों को सिसकते हुए देखा
~ इशरत क़ादरी
जुदाई की रुतों में सूरतें धुँदलाने लगती हैं
सो ऐसे मौसमों में आइना देखा नहीं करते
~ हसन अब्बास रज़ा
मिरी बहार में आलम ख़िज़ाँ का रहता है
हुआ जो वस्ल तो खटका रहा जुदाई का
~ जलील मानिकपूरी
तिरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए
कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के
~ जुनैद हज़ीं लारी
न बहलावा न समझौता जुदाई सी जुदाई है
'अदा' सोचो तो ख़ुशबू का सफ़र आसाँ नहीं होता
~ अदा जाफ़री
उस के जाते ही ये क्या हो गई घर की सूरत
न वो दीवार की सूरत है न दर की सूरत
~ अल्ताफ़ हुसैन हाली
वक़्त-ए-रुख़्सत निशानी जो तलब की तो कहा
दाग़ काफ़ी है जुदाई का अगर याद रहे
~ अज्ञात
ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआ
मगर वो लौटना चाहे तो फिर ज़माना भी क्या
~ अबुल हसनात हक़्क़ी
उस से पूछो अज़ाब रस्तों का
जिस का साथी सफ़र में बिछड़ा है
~ अब्बास दाना
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
~ असद भोपाली
तुम्हारे हिज्र में क्यूँ ज़िंदगी न मुश्किल हो
तुम्हीं जिगर हो तुम्हीं जान हो तुम्हीं दिल हो
~ अफ़सर इलाहाबादी
हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तिरे चाँद सितारे नहीं देखे जाते
~ फ़रहत शहज़ाद
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3 months ago
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