कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता
~ सलीम कौसर
चाहत की तमन्ना से कोई आँच न आई
ये आग मिरे दिल में बड़े ढब से लगी है
~ मुज़्तर ख़ैराबादी
हर लहज़ा उस के पाँव की आहट पे कान रख
दरवाज़े तक जो आया है अंदर भी आएगा
~ सलीम शाहिद
कोई दस्तक कोई आहट न सदा है कोई
दूर तक रूह में फैला हुआ सन्नाटा है
~ वसीम मलिक
शाम ढले आहट की किरनें फूटी थीं
सूरज डूब के मेरे घर में निकला था
~ ज़ेहरा निगाह
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3 weeks ago
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