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इंशा अल्लाह ख़ान इंशा: तू ने लगाई अब की ये क्या आग ऐ बसंत

उर्दू अदब
                
                                                                                 
                            तू ने लगाई अब की ये क्या आग ऐ बसंत 
                                                                                                

जिस से कि दिल की आग उठे जाग ऐ बसंत 

कैफ़िय्यत-ए-बहार के तू उस को दे ख़बर 
मौज-ए-नसीम की तरह उड़ लाग ऐ बसंत 

हर शाख़ ज़र्द ओ सुर्ख़ ओ सियह हिज्र-ए-यार में 
डसते हैं दिल को आन के जूँ नाग ऐ बसंत 

मुँह देखो आशिक़ों के मुक़ाबिल हूँ रंग में 
बाँधी है मुझ से किस लिए तू लाग ऐ बसंत  आगे पढ़ें

1 month ago

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