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न साथी है न मंज़िल का पता है: असद भोपाली

न साथी है न मंज़िल का पता है: असद भोपाली
                
                                                         
                            न साथी है न मंज़िल का पता है 
                                                                 
                            
मोहब्बत रास्ता ही रास्ता है 

वफ़ा के नाम पर बर्बाद हो कर 
वफ़ा के नाम से दिल काँपता है 

मैं अब तेरे सिवा किस को पुकारूँ 
मुक़द्दर सो गया ग़म जागता है  आगे पढ़ें

3 महीने पहले

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