लश्कर भी तुम्हारा है सरदार तुम्हारा है
तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा है।
इस दौर के फरियादी जायें तो कहां जायें,
कानून तुम्हारा है दरबार तुम्हारा है।
सूरज की तपन तुमसे बर्दाश्त नहीं होती,
इक मोम के पुतले सा किरदार तुम्हारा है।
वैसे तो हरइक शै में साया है तुम्हारा ही,
दुश्वार बहुत लेकिन दीदार तुम्हारा है।
कोई भी इसे अपना कहता हो भले लेकिन,
इस "चाँद "पर तो केवल अधिकार तुम्हारा है।
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