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अमीर क़ज़लबाश: ज़बाँ है मगर बे-ज़बानों में है, नसीहत कोई उस के कानों में है

उर्दू अदब
                
                                                                                 
                            ज़बाँ है मगर बे-ज़बानों में है 
                                                                                                

नसीहत कोई उस के कानों में है 

चलो साहिलों की तरफ़ रुख़ करें 
अभी तो हवा बादबानों में है 

ज़मीं पर हो अपनी हिफ़ाज़त करो 
ख़ुदा तो मियाँ आसमानों में है 

न जाने ये एहसास क्यूँ है मुझे 
वो अब तक मिरे पासबानों में है  आगे पढ़ें

1 month ago

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