हर इक को भाती है दिल से फ़ज़ा बनारस की
वो घाट और वो ठंडी हवा बनारस की
वो मंदिरों में पुजारियों का हुजूम
वो घंटियों की सदा वो फ़ज़ा बनारस की
तमाम हिन्द में मशहूर है यहाँ की सहर
कुछ इस क़दर है सहर ख़ुशनुमा बनारस की
पुजारियों का नहाना वो घाट पर आ कर
वो सुब्ह-दम की फ़ज़ा दिल-कुशा बनारस की
वो कश्तियों का समाँ और वो सैर गंगा की
वो ठंडी ठंडी हवा जाँ-फ़िज़ा बनारस की
हमारे दिल से निकलती है ये दुआ 'अख़्तर'
कि फिर भी शक्ल दिखाए ख़ुदा बनारस की
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