सोए तो दिल में एक जहाँ जागने लगा
जागे तो अपनी आँख में जाले थे ख़्वाब के
जो चुप-चाप रहती थी दीवार पर
वो तस्वीर बातें बनाने लगी
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर
उस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया
मेरे आँगन में एक पौधा है
फूल बन के महक उठेगा तू
लम्हे के टूटने की सदा सुन रहा था मैं
झपकी जो आँख सर पे नया आसमान था
बाहर गली में शोर है बरसात का सुनो
कुंडी लगा के आज तो घर में पड़े रहो
उस के क़रीब जाने का अंजाम ये हुआ
मैं अपने-आप से भी बहुत दूर जा पड़ा
रंगों को बहते देखिए कमरे के फ़र्श पर
किरनों के वार रोकिए शीशे की ढाल से
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
आवाज़ की दीवार भी चुप-चाप खड़ी थी
खिड़की से जो देखा तो गली ऊँघ रही थी
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4 months ago
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