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Abbas Tabish: 'टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है, आदमी इश्क़ में बच्चों की तरह होता है'

abbas tabish ghazal toot jaane mein khilonon ki tarah hota hai
                
                                                                                 
                            

टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है


आदमी इश्क़ में बच्चों की तरह होता है

इस लिए मुझ को पसंद आता है सहरा का सुकूत
इस का नश्शा तिरी बातों की तरह होता है

हम जिसे इश्क़ में देते हैं ख़ुदा का मंसब
पहले पहले हमें लोगों की तरह होता है

जिस से बनना हो तअ'ल्लुक़ वही ज़ालिम पहले
ग़ैर होता है न अपनों की तरह होता है

चाँदनी-रात में सड़कों पे क़दम मत रखना
शहर जागे हुए नागों की तरह होता है

बस यही देखने को जागते हैं शहर के लोग
आसमाँ कब तिरी आँखों की तरह होता है

उस से कहना कि वो सावन में न घर से निकले
हाफ़िज़ा इश्क़ का साँपों की तरह होता है

उस की आँखों में उमड आते हैं आँसू 'ताबिश'
वो जुदा चाहने वालों की तरह होता है

1 month ago

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