मेरी ख़ामोशी ने बहुत कुछ बयां किया,
वो तो नासमझ ठहरे लफ्ज़ ढूंढते रह गए
दोस्त इसलिये भी नहीं आते, आजकल मिलने मुझसे
उनका कद बढ़ गया है, दरवाजे छोटे हैं मेरे घर के
"मनचाहा " बोलने के लिए
"अनचाहा " सुनने की ताकत होनी चाहिए
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे
आदमी का कुछ अलग, किरदार होना चाहिये
आई जो एक हिचकी तो लगा याद कर रहे हैं वो,
फिर एक घूंट पानी ने मेरा सारा भरम तोड़ दिया
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1 month ago
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