पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,
उनके मुक्कदर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते!
समर्थन और विरोध केवल
विचारों का होना चाहिये..
किसी व्यक्ति का नहीं..
क्योंकि अच्छा व्यक्ति भी
गलत विचार रख सकता है...
और किसी बुरे व्यक्ति का भी
कोई विचार सही हो सकता है...
एक "उम्र" के बाद "उस उम्र" की बातें "उम्र भर" याद आती हैं...
पर "वह उम्र" फिर "उम्र भर" नहीं आती...
सब को फिक्र है खुद को सही साबित करने की,
जैसे कि ये ज़िन्दगी नहीं, कोई इल्ज़ाम हो सिर पर।
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1 month ago
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