हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है नीर जिसका अर्थ पानी या जल से है। रवीन्द्र जैन अपने एक गीत में इस शब्द का प्रयोग यूं करते हैं।
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन ...
इस बगिया का हर फूल देता है चुभन कांटों की
सपने हो जाते हैं धूल क्या बात करे सपनों की
मेरे साथी तेरी दुनिया
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन ...
जाने मुझ से हुई क्या भूल जिसे भूल सका न कोई
पछतावे के आंसू मेरे आंख भले ही रोये
ओ रे पगले तेरा अपना
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन ...
पत्थर भी कभी इक दिन देखा है पिघल जाते हैं
बन जाते हैं शीतल नीर झरनों में बदल जाते हैं
तेरी पीड़ा से जो पिघले
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन ...
5 days ago