'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- दिक्, जिसका अर्थ है- दिशा, ओर। प्रस्तुत बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की कविता- अरे तुम हो काल के भी काल
कौन कहता है कि तुमको खा सकेगा काल?
अरे, तुम हो काल के भी काल अति विकराल!
काल का तव धनुष; दिक् की है धनुष की डोर;
धनु-विकंपन से सिहरती सृजन-नाश-हिलोर!
तुम प्रबल दिक्-काल-धनु-धारी सुधन्वा वीर;
तुम चलाते हो सदा चिर चेतना के तीर।
क्या बिगाड़ेगा तुम्हारा, यह क्षणिक आतंक?
क्या समझते हो कि होंगे नष्ट तुम अकलंक?
यह निपट आतंक भी है भीति-ओत-प्रोत!
और तुम? तुम हो चिरंतन अभयता के स्रोत!!
एक क्षण को भी न सोचो कि तुम होगे नष्ट;
तुम अनश्वर हो! तुम्हारा भाग्य है सुस्पष्ट!
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