इन्सान वो वाहिद हैवान है जो अपना ज़हर दिल में रखता है।
जब शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पीने लगें तो समझ लो कि शेर की नीयत और बकरी की अक़्ल में फ़ितूर है।
हमारी गायकी की बुनियाद तब्ले पर है, गुफ़्तगू की बुनियाद गाली पर।
बुढ़ापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में ज़रा फ़र्क़ नहीं। सोते में भी आँख खुली रखनी पड़ती है।
शराब को ड्रिंक्स कहा जाये तो कम हराम मालूम होती है।
जाड़े और बुढ़ापे को जितना महसूस करोगे उतना ही लगता चला जाएगा।
ख़ून, मुश्क़, इशक़ और ना-जायज़ दौलत की तरह उम्र भी छुपाए नहीं छुपती।
बीती हुई घड़ियों की आरज़ू करना ऐसा ही है जैसे टूथपेस्ट को वापिस ट्यूब में घुसाना।
ताश के जितने भी खेल हैं वो मर्दों ने एक दूसरे को चुप रखने के लिए ईजाद किए हैं।
भुट्टे, मुर्ग़ी की टाँग, प्याज़ और गन्ने पर जब तक दाँत न लगे, रस पैदा नहीं होता।
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1 year ago
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