एक मर्तबा जिगर साहब मुशायरा पढ़ने पाकिस्तान गए हुए थे। जिगर साहब जहां ठहरे हुए थे वहां एक शख़्स उनसे मिलने आए जो बंटवारे के बाद हिंदुस्तान छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। उन्होंने बातों बातों में हिंदुस्तान की बुराइयां शुरू कर दीं। जिगर साहिब कुछ देर ख़ामोश रहे और उसके बाद बोले- "मैंने नमक हराम तो बहुत देखे थे, लेकिन वतन हराम आज देख लिया।"
एक बार जिगर साहब के किसी शेर की तारीफ़ करते हुए किसी मनचले ने उनसे कहा- “हज़रत ! आपकी उस ग़ज़ल के फ़लां शेर को मैंने लड़कियों के एक हुजूम में पढ़ा और पिटने से बाल-बाल बचा।” जिगर साहिब ने हंसते हुए कहा- “अज़ीज़म ! उस शेर में ज़रूर कोई ख़ामी होगी वर्ना आप ज़रूर पिटते।”
स्रोत : जिगर फाउंडेशन, मुरादाबाद के सचिव ज़िया ज़मीर से प्राप्त।
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1 year ago
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