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बीवी से नहीं निभी: ताउम्र एकांत में रहा ये शायर

मशहूर शायर शहरयार की शायरी में चौंकानेवाली आतिशबाज़ी से दूर एक शाइस्तगी है
                
                                                                                 
                            
मशहूर शायर शहरयार की शायरी में चौंकानेवाली आतिशबाज़ी से दूर एक शाइस्तगी है। उनके शब्दों में कुछ अक्स उभरते हैं लेकिन वह सफर के उस पेड़ की तरह नहीं होते जो झट से गुज़र जाते हैं बल्कि उस पेड़ की तरह होते हैं जो दूर चलते हुए देर तक मुसाफ़िर का साथ देते हैं। 


शहरयार की शायरी में जो शास्त्रीय रचाव, अनुभवों की विविधता, आधुनिक जीवन बोध और वक्त पर सही बात कलात्मक ढंग से कहने का सलीका है, वह उन्हें दूसरों से अलग और विशिष्ट करता है। वक्त की नब्ज़ पर उनका हाथ हमेशा ही बना रहता है, इसलिए वे देश-विदेश सभी जगह बेहद पसंद किए जाते हैं। शहरयार के क़रीबी दोस्त और प्रख्यात साहित्यकार कमलेश्वर ने अपने दोस्त के संबंध में लिखा है कि हिंदुस्तानी अदब में शहरयार वो नाम है जिसने छठे दशक की शुरुआत में शायरी के साथ उर्दू अदब की दुनिया में सफ़र शुरू किया। 
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2 months ago

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