एक कवि से मैंने कहा- ''तुम्हारी मौत से पहले हम तुम्हारे शब्दों का मूल्य नहीं जान पाएंगे।''
उसने कहा- ''ठीक कहते हो। रहस्यों से परदा मौत ही उठा पाती है। और अगर वास्तव में तुम मेरे बारे में जानना चाहते हो तो सुनो, जितना बोल चुका हूं उससे ज्यादा कविता मेरे हृदय में है और जितना लिख चुका हूं उससे ज्यादा मेरे खयालों में है।''
खलिल जिब्रान
अनुवाद: बलराम अग्रवाल
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