हिंदी के सुप्रसिद्घ साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का कल रात निधन हो गया जिसके बाद से सम्पूर्ण साहित्य जगत में शोक व्याप्त है। नामवर सिंह साहित्य में आलोचना का शीर्षस्थ थे। वह एक लेखक व निबंधकार भी थे। उन्हें अमर उजाला की ओर से 2018 शब्द सम्मान में सर्वोच्च सम्मान आकाशदीप से सम्मानित किया गया था।
इस सम्मान को लेकर नामवर सिंह ने अपने अंदाज में कहा कि जिसने शब्दोंं को जान लिया और पहचान लिया, वह इस लोक और परलोक, दोनों जगह सुखी है। आइए जानते हैं अपनी लेखनी को लेकर और क्या कुछ कहते हैं नामवर सिंह।
मेरा जीवन सरल सपाट है। उसमें न ऊंचे पहाड़ हैं, न घाटियां हैं- नामवर सिंह
जैसे हम हैं, वैसे ही रहें
कहने को तो मैं भी प्रेमचंद की तरह कह सकता हूं कि मेरा जीवन सरल सपाट है। उसमें न ऊंचे पहाड़ हैं, न घाटियां हैं। वह समतल मैदान है। लेकिन औरों की तरह मैं भी जानता हूं कि प्रेमचंद का जीवन सरल सपाट नहीं था। अपने जीवन के बारे में भी मैं नहीं कह सकता कि यह सरल सपाट है। भले ही इसमें बड़े ऊंचे पहाड़ न हों, बड़ी गहरी घाटियां न हों। मैंने जिन्दगी में बहुत जोखिम न उठाए हों, लेकिन जीवन सपाट न रहा। मैंने कभी अपने गुरुदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ‘सबसे बड़ा दुख क्या है?’ बोले, ‘न समझा जाना।’
मैंने फिर पूछा, सबसे बड़ा सुख? वह बोले, ‘ठीक उलटा! समझा जाना।’ इसी समझा जाना और न समझ में आना पर मेरी जिंदगी टिकी रही। साहित्य को लेकर मैं एक ही सिद्धांत मानता रहा हूं। साहित्य में ‘सह’ शब्द है। साहित्य में ‘शब्द’ भी सुंदर हो और ‘अर्थ’ भी सुंदर हो तब साहित्य होता है। ‘सह’ भाव साहित्य का धर्म है। इसलिए वही साहित्य श्रेष्ठ होगा जो साहित्य धर्म का पालन करेगा।
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के जीयनपुर गांव में हुआ था। हिन्दी में आलोचना के रचना पुरुष के रूप में ख्याति प्राप्त हैं। नामवर सिंह को शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबंधकार, संपादक माना जाता है। नामवर सिंह मूर्धन्य उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्य हैं।
हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से लेकर समसामयिक साहित्य तक जुड़ाव है। नामवर सिंह ने दो दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी हैं। जिसमें बाकलम खुद, हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग, पृथ्वीराज रासो की भाषा, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, इतिहास और आलोचना और कविता के नए प्रतिमान आदि शामिल हैं।
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मेरा जीवन सरल सपाट है। उसमें न ऊंचे पहाड़ हैं, न घाटियां हैं- नामवर सिंह
9 months ago
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