इश्क को समय के साथ हमेशा से नया अंदाज मिलता रहा है। इसी वजह से हमारे बॉलीवुड की दुनिया में कोई बराबरी नहीं कर सकता। देश के सिने जगत ने दुनिया को इश्क की तहजीब दी है। पुराने समय से लेकर इस आधुनिक युग में भी इश्क के लिए दिल धड़क रहा है।
दिल से सुन पिया ये दिल की दास्ताँ...
रूत बदले, दुनिया बदले लेकिन यह इश्क वक्त से परे हमेशा से धड़कता रहा है और धड़कता रहेगा। बोल नए हो जाएंगे, संगीत को नए तरन्नुम मिल जाएंगे लेकिन इश्क की महक में बदलाव नहीं होगा। यह आपको हाल ही में रिलीज गोल्ड फिल्म के एक गीत को सुनने के बाद महसूस होगा। यह गीत हमें इश्क की रुहानियत में डुबो देता है। गीत के बोल और संगीत के अलावा इश्क की वजह से मैं इसको पसंद करता हूं।
दिल से सुन पिया ये दिल की दास्ताँ
जो लफ़्ज़ों में नहीं हो बयाँ
अब जैसा भी रास्ता
टूटेगा ना वास्ता
ना रहेगा फासला दरमियाँ..
नैनो ने बाँधी कैसी डोर रे...
ओल्ड इज गोल्ड की तर्ज पर गुजरे जमाने के गीत हमेशा से ही गोल्ड रहेंगे। लेकिन नए गीत और संगीतकारों ने भी लोगों के लिए नए दौर में इश्क के रूहानी एहसास को जिंदा रखा है। अक्षय कुमार और मौनी रॉय अभिनीत इस फिल्म का गीत नैनो ने बांधी ये कैसी डोर है आपको ठहरने के लिए एक मुकाम देता है। गहरे और मीठे शब्दों में इस गीत ने इश्क का सुनहरा समां बांधा है। इस प्यारे गीत को यासर देसाई ने गाया है। गीत आर्को पार्वो मुखर्जी ने दिया है। संगीत भी मुखर्जी ने ही दिया है
नैनो ने बाँधी कैसी डोर रे
नैनो ने बाँधी कैसी डोर रे
हो.. मुंसिफ ही मेरा
मेरा चोर रे
दिल पे चले ना कोई जोर रे
हाँ.. दिल पे चले ना कोई जोर रे
ओ.. खिंचा चला जाये तेरी ओरे रे
आ..
मुझसे जुड़ी हैं सब कहानियाँ...
पुराने जमाने के गीतों की तरह इस गीत में भी इश्क को नैनो का करार माना गया है। गीत कहता है कि समय बदले पर इश्क का सच और उसका एहसास नहीं बदलता। गीत में दिल की दास्तां को 'दिल' से सुनने की ताकीद दी गई है। गीतकार कह रहा है कि इश्क हमेशा की तरह आज भी नैनो का ही खेल है...यह लफ्जों में बयां नहीं हाे सकता। जो लफ्जों में पिरो जाए वह फसाना हो सकता है इश्क नहीं...
ओ आजा तेरा दरस दिखा दे माहि
मुझे मेरा अक्स दिखा दे माहि
मुझसे जुड़ी हैं सब कहानियाँ
चाहे सौ गर्दिशें हो
पर कोई बैर नहीं
हम दुनिया से लड़ लेंगे
पर तेरे बगैर नहीं..
जो लफ़्ज़ों में नहीं हो बयाँ...
मुखर्जी ने हर गीतकारों की तरह यहां भी इश्क को सबसे पहले समर्पण से ही जोड़ा है। संकल्प और समर्पण के बिना इश्क का मुकम्मल होना असंभव है। गीतकार कह रहा है कि मुंसिफ ही उसका चोर है। जब ऐसा हो जाए तब आपका इश्क से बचना बहुत कठिन है। कई बार आदमी नजरें चुरा कर अपने को बचाना चाहता है। पर अगर खुदा ने इस जादू की नेमत के लिए आपको मुकर्रर कर रखा है तब शायद ही आप इस बच पाएं। नई तर्ज और नए कलेवर का यह गीत शायद यही कह रहा है।
दिल से सुन पिया ये दिल की दास्ताँ
जो लफ़्ज़ों में नहीं हो बयाँ
हमसफ़र हमराज़ तू
जिस्म मैं और सांस तू
रहना मेरे पास तू यूँ सदा..
नैनो ने बाँधी कैसी डोर रे
नैनो ने बाँधी कैसी डोर रे
हो.. मुंसिफ ही मेरा, मेरा चोर रे
पर जो इस पर काबू पा ले वह खुदा हो जाता है...
गीत कह रहा है दिल पर किसी का जोर नहीं चलता। पर जो इस पर काबू पा ले वह खुदा हो जाता है। लेकिन अकेले खुदा बनना नामुमकिन है। दो लोग इश्क की राह पर चलकर अपने को मुकम्मल करते हुए खुदा तक पहुंच सकते हैं। यह गीत ऐसे लोगों को इश्क की राह पर आगे जाने की प्रेरणा देता है। साहस देता है। दो दिलों की धड़कन अगर सच्ची हो जाए तो उसे खुदा जरूर सुनने लगता है। इसके बाद लाख गर्दिशें हो या बैर हो या दुश्मन हो, पूरी दुनिया आपके खिलाफ हो जाए, आप उनसे लड़कर दुनिया को जीत ही लेंगे। गीत इश्क को चुनौती मानता है और दर्द और ईमान के साथ उसे हासिल करने की सुंदर इबारत लिख रहा है।
दिल पे चले ना कोई जोर रे
हाँ.. दिल पे चले ना कोई जोर रे
ओ.. खिंचा चला जाये तेरी ओरे रे
आप भी सुनिए यह गीत यहां...
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दिल से सुन पिया ये दिल की दास्ताँ...
1 month ago
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