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रहा गर्दिशों में हर दम मेरे इश्क़ का सितारा... प्रेमी के अंतस का दर्द

Raha gardishon mein har dam mere ishq ka sitara
                
                                                                                 
                            
वक़्त के दो समानांतर अक्षों पर जहां एक तरफ़ तो मंडप सजा है और वर-वधू अपनी नई ज़िंदगी शुरू करने जा रहे हैं, वहीं दूसरे अक्ष पर एक प्रेमी तन्हा मुहब्बत की बदनसीबी गुनगुनाकर अपनी महफ़िल को सजा रहा है।

यथासंभव प्रेम के इतिहास के कई पन्ने इसी तरह की कहानियों से गुदे हुए होंगे। भाग्य के पुरोधा ही हैं वह जिनके इश्क़ की कहानी में प्रेमिका का मिलन ताउम्र के लिए हो जाता है और सौभाग्यशाली हैं वह जो अपने शैदाई की यादों और उसकी तल्ख़ियों को सीने से लगाकर ज़िंदगी बिता देते हैं।

बहरहाल यहां जिस दृश्य की परिकल्पना की गयी है वो फ़िल्म ‘दो बदन’ का है। नायक प्रेमी अपनी प्रेमिका की शादी के मौके पर अंतस के दर्द को आवाज़ देते हुए गुनगुनाता है कि

रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क़ का सितारा
कभी डगमगाई कश्ती, कभी खो गया किनारा
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कोई दिल के खेल देखे, के मोहब्बतों की बाजी

3 months ago

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