फ़िल्म - कन्यादान (1968)
गीतकार - नीरज
जहां तू है, वहां मैं हूँ, मेरे दिल की तू धड़कन है
मुसाफ़िर मैं, तू मंज़िल है, मैं प्यासा हूं, तू सावन है
मेरी दुनिया, ये नज़रें हैं, मेरी जन्नत ये दामन है
लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में
हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए
इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल
फ़िल्म: धरम करम (1975)
गीतकार: मजरूह सुल्तानपुरी
अनहोनी पथ में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए
ये बिरहा, ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिल वाला काहे को घबराये
धारा तो बहती है, बह के रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
फ़िल्म: अनाड़ी (1959)
गीतकार शैलेन्द्र
माना अपनी जेब से फ़कीर हैं
फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं
मिटे जो प्यार के लिए वो ज़िन्दगी
जले बहार के लिए वो ज़िन्दगी
किसी को हो ना हो हमें तो ऐतबार
जीना इसी का नाम है...
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
फ़िल्म: गुमराह (1963)
गीतकार: साहिर लुधियानवी
तआर्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
फ़िल्म: प्यासा (1957)
गीतकार: साहिर लुधियानवी
खुशियों की मंज़िल ढूंढी तो ग़म की गर्द मिली
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली
दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मखार मिला
हमने तो जब कलियां मांगी कांटों का हार मिला
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
फ़िल्म: पारसमणि (1963)
गीतकार: असद भोपाली
आहटें जाग उठीं रास्ते हंस दिए
थामकर दिल उठे हम किसी के लिए
कई बार ऐसा भी धोखा हुआ है
चले आ रहे हैं वो नज़रें झुकाए
वो जब याद आए बहुत याद आए
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इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल