१. कभी न चाह कर भी , सिर को झुकना पड़ता है !
अपने सम्मान के लिए, स्वयं को उठाना पड़ता है !!
2. मैं बेबस हो गयी हूँ , यह ग़लतफहमी न पाल ए दोस्त !
.कभी वज़ूद के लिए ,असली चेहरा छुपाना पड़ता है !!
३. मैं हूँ नारी, हूँ मैं जननी , नहीं अबला !
क्यों सबको जताना पड़ता है !!.
रचयिता : आकांक्षा जैन ' शौर्या जैन '
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