कलम उठाई थी लिखने
मेहबूब की मुहब्बतों पर
भारत माँ का आँचल देख
कलम चलाई हालातों पर
एक के बदले 10 सिर, कहते फिरते मोदी जी
अब तो कई चले गये, सैनिक वीर मोदी जी
56 इंच का सीना ताने, रक्षा तो कर पाये नहीं
बस अब दुश्मन के खेमे में हाहाकार मचा दो मोदी जी
भारत माँ के लालों का कर्जा
दुश्मन शीश काट, चुका दो मोदी जी
वीर सैनिक अमर रहे, बहुत गुूूूंजा आसमानों में
अब दुश्मन की चीखों का, सैलाब सुना दो मोदी जी....
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