वो छीन कर मेरी जिंदगी मुझे अपना दिल सौंप गए,,,
जंग में ऐतबार करना कोई उनसे सिख ले ।।
घसीटते हुए मुझे मेरे राहों में फूल बिखेर गए ,,
जख्म पे मरहम लगाना कोई उनसे सिख ले।।
मुझ से आँखे भी न मिलायी और होठ कलाम कर गए,,
ज़माने से बगावत करना कोई उनसे सिख ले।।
शूली पर चढ़ा कर मुझे चौराहें पर खुद झूल गए ,,
जज्बात-ए-इश्क़ को अमर करना कोई उनसे सिख ले।।
सुधांशु अंकित
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