एक दिन के जीवन से भी सांसे छीनते हैं,
हम गुलदस्तें देने की रवायत बदलते हैं,
अगली बार जब तुम आओ मुझसे मिलने,
इन फूलों को गमलों के साथ ले आना।
मैं गमलों को अपनी बालकनी में सजा दूंगी,
और तुम्हें याद करके इन्हें हर दिन सिचूंंगी ,
इन नन्हें पौधों की आरर टहनियों पर,
जब रंग-बिरंगे फूल खिलने लगेंगे तब,
संतोष होगा हमें 'प्रेम' को खिलता देख के,
हवाओं के संग-संग झूमता हुआ देख के।
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