वक़्त बदल जाता है, तो इंसान बदल जाता है
तक़दीर बदल जाती है, निज़ाम बदल जाता है
जो पीटते थे ढोल कभी अपनी शराफ़त का,
वक़्त के साथ उनका भी, ईमान बदल जाता है
शांती स्वरूप मिश्र
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