सुलग रहा फिर कोना कोना,हर माटि है रोती।
आडम्बर में डूबा सब कुछ,खोया माटि मोती।।
उस गाँधी की मोती टूटी,उस भगत की कोठी।
देख हुआ क्या मानवता को,भारत माँ भी रोती।।
हो असम या जम्मू चाहे ऊना अलवर दिल्ली।
खोया माटि मोती, खोया माटि मोती।।
उस नज़ीब उस वेमुला और अंकित की माँ है रोती।
लाल गुम हुआ माटि में फिर हाय! मानवता लूटि।।
आडम्बर में खोया सब कुछ, खोया माटि मोती।
खोया माटि मोती।।
- शादाब खां
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