रुक सी गई है ये जिन्दगी!
न जाने फिर, किस आस में।
पथराई सी हैं !
आँखें मेरी,
न जाने किसकी तलाश में।।
बेचैनी से भरे हुए हैं ,
ये ख़्वाब मेरे।
एक अलग ही तपिश है!
आजकल! मेरी सांस में ।।
कौन था...... वो शख़्स !
लिपटा हुआ,
वफ़ा के लिबास में।
जिसकी आहट !
हर वक्त गूंजती है,
बरसों से ....मेरे अहसास में ।।
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