जब तक तुझसे जुड़ी थी
तभी तक उड़ी थी
उसकी हर उड़ान
तुझ संग बँधी थी
तेरे प्यार से ऊर्जित
वह आसमां छुई थी
तेरे हाथों से स्पंदित
हवा में लहराई थी
वह ऊंचा मुकाम पा
अपने वज़ूद पर इतराई थी
और अचानक यह उड़ान ही
उसके टूटने का कारण बनी
टूटी गिरी ज़मीं पर
मिट्टी में मिल गई
पर खुश थी
कि मिटने के पहले
उसने आसमां छू लिया था
वह पतंग थी
जिसकी डोर तेरे हाथ थी
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