नहीं डरा कभी, नहीं रुका कभी
नहीं झुका कभी,
यह वह शख्सियत थी जो,
अंधेरों में रोशनी भर गई
यह वह हस्ती थी जो रुके हुए,
कदमों को चलना सिखा गई
लाख कोशिशों के बावजूद,
नहीं पहुंच पा रहे थे लक्ष्य तक
किंतु था बंदे में इतना दम,
कि लक्ष्य तक पहुंचा दिया
देश को सशक्त बनाने का,
मार्ग भी बना दिया
देश को अपना सर्वस्व समर्पित,
करने वाले कभी नहीं जाते
एक युग बीत गया, सब कहते हैं,
किंतु नहीं होता अंत कभी उस युग का,
जीवन के घटना क्रम में
बातें उनकी हरदम दोहराई जायेंगी
यादें उनकी साथ रहेंगी
हमनें एक अटल नहीं
लाखों अटल विचारों के
जनक को खोया है
जो आने वाले वक़्त में
और भी कुछ हमें दे जाते
नहीं किसी कलम में स्याही इतनी कि
उनकी गाथाओं को पन्नों पर बिछा पाए
अनगिनत प्रतिभाओं से
प्रभु ने उन्हें नवाज़ा था
प्रभु की दी हर प्रतिभा को उन्होंने
अपने जीवन में उतारा था
गये नहीं वह चिरनिंद्रा में सो गए हैं
तस्वीर बन कर हृदय में बस गए हैं
आज धरा ग़मगीन हैं, हवाएं शांत हैं
उनके चाहने वाले शून्य में खो गए हैं
हर आंख नम है ,
वह हाथ गर्वित हो रहे हैं
जिन्होंने उनकी देह को छुआ है
स्वर्ग आज धरा को चिढ़ा रहा है
देख तेरा सबसे अच्छा लाल
तेरा अजातशत्रु तुझे छोड़
आज मेरे पास आ रहा है
अब मैं भी धन्य हो जाऊंगा
गर्व से भर जाऊंगा।
-रत्ना पांडे
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