तुम्हारा नाम दिल को सुकून दे जाता है
इश्क़ में जरूरी नहीं कि मुलाकात हो।
उम्र भी अपने दायरे भूल जाती है,
मोहब्बत में जब दिल से दिल की बात हो।
इश्क़ की इंतहा तो तब है जब,
खामोश लब रहें और निगाहों से बात हो।
आरजू तुम्हारी इस दिल को रहेगी सदा,
काश वह दिन भी आए कि मिलने के हालात हों।
रोज मिल कर भी तुम नहीं मिलते,
ख़्वाब कभी हकीकत बने काश वह रात हो।
वादा रहा तुमसे कि साथ न छोड़ेंगे कभी,
मौत भी आए तो तेरी ही बांहों का घेराव हो।
कल्पना सिंह
आदर्श नगर, बरा, रीवा (मध्य प्रदेश)
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