औरत है एक अबूझ पहेली।
कभी तो फुसकारती नागिन कभी मीठी जलेबी।।
कभी तो ममता की मूरत कभी खड़ग लिये हाथ काली।
कभी रह जाती अवला कभी परम शक्तिशाली।।
कभी माँ की ममता है,कभी बहिना का प्यार है।
कभी बहू बन सेवा करती ,कभी साजन की करती मनुहार है।
कभी बुआ बन करती दुलार,कभी बेटी बन पौंछती आंसू।
बेटी को न मारो कोख में,ये संदेश दे रहा यहाँ सूं।
बेटी ही न होगी ,बहिन बुआ ,पत्नी का रिश्ता बनायेंगे कैसे।
बेटी ही न रहेगी तो बहु लायेंगे कहां से।।
विद्योत्तमा ,गार्गी ,सावित्री,रानी पदमावती ,लक्ष्मीबाई और कितने ही नाम याद करूं।
सरोजनी नायडू ,कल्पना चावला,लता मंगेशकर,अरूणिमा सिन्हा,बद्देन्दीपाल ,औरइन्दिरा नेहरु।।
जय मातृ शक्ति ,इसकी शक्ति का न कोई पार है।
"मुकेश" कह न सको इसकी,महिमा बड़ी अपार है।।
प्रेषक -राजनारायन varshney"मुकेश "
माँखन गंज ,मैन बाजार द्दाता (मथुरा )
मो नः 9412329079,92 19241516
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5 years ago
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