परेशान तिरंगा पूछ रहा मैं क्यों न ऊंचा लहराया जाता हूं?
आखिर आज मैं क्यूं ज़्यादा बस कफ़न पर पाया जाता हूं?
पूछ रही है यही सवाल वो जिसके माथे का सिंदूर गया
जिसका जीवनसाथी, जिसके चेहरे का नूर गया
पूछ रहे है बेटा बेटी की आखिर कैसे हम अनाथ हुए
इतनी बंदूक, इतनी सेना जबकि पापा के साथ हुए
पूछ रही है शव देख के माता की और कितना हृदय तार तार करूं
भर्ती में एक इंच कम न लेते फिर कैसे क्षत विक्षत शव स्वीकार करूं
इन हृदय विदारक घटनाओं को आखिर कभी तो रुकना होगा
और कितने माताओं की गोद, कितनों का घर सूना होगा
अब समय है आंखे खोल कर एक भीषण हुंकार भरो
आंखों में आंखे डाल कर दुश्मन को ललकार करो
इतनी सक्षम हो अपनी सेना की शत्रु भय से कांप जाए
ऐसे सशक्त हो खुफिया तंत्र की खतरा पहले ही भांप जाए
अर्थव्यवस्था हो ऐसी की देश पूर्ण संपन्न हो
उन्नत तकनीक, विज्ञान देख के अन्य देश सन्न हो
खेल कूद में पदक जीते, खेल उच्च स्तरीय हो
स्वदेशी उत्पाद, स्टार्ट अप में अव्वल, हर व्यवसाय मे विश्वसनीय हो
अन्नदाता किसानों के हम अब ऐसे हालात करे
सर उनका रहे ऊंचा पूरे विश्व में वे अन्न निर्यात करे
अपना देश हो मज़बूत, ये शक्तिशाली हो
दुनिया में वर्चस्व हो, हर वर्ग में खुशहाली हो
अच्छे विचार, देशभक्ति से हमें सिंचित होना होगा
विकासशील रह लिए बहुत अब विकसित होना होगा
सच क्योंकि यही है की दुनिया ताकतवर से भय खाती है
आंखों में आंखे डाल कर देखो तो नज़रे नीचे झुकाती है
भारत ताकतवर हुआ तो कोई हाथ ना उठा पाएगा
किसी मां का राज दुलारा जंग में न मारा जाएगा
समूचे विश्व को अपनी काबिलियत से आज ठहरा दो
विजयी विश्व तिरंगे को आज ऊंचा लहरा दो
आज ऊंचा लहरा दो
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
3 months ago
कमेंट
कमेंट X