आप क्या हमारी पहचान बताते हैं
माथे पे बने सजदे जो निशान बताते हैं
है कितना हौसला अन्दर तेरे नादाँ
हमारी ज़िन्दगी में आये तूफ़ान बताते हैं
भटकते हैं जब कभी अपने मंज़िलों से
रास्ता हमें अक़्सर ही अंजान बताते हैं
वो जो खेलते थे बचपन में संग मिरे
मिलने पे अब उँची पहचान बताते हैं
पूछते हैं सरज़मी से कितनी है मोहब्बत
दिन के पाँच वक़्त के अरकान बताते हैं
#Nishat महशर
बी डी घाट सिविल लाईन कानपुर
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