बस स्टॉप पर मैं अक्सर उसे देखा करती थी और वह मुझे देखा करता था
जाने क्यूं मुझे ऐसा लगता था जैसे वह लड़का मुझ पर मरता था
कभी जिप्सी में, कभी बाइक पर, बस स्टैंड के लेता था फेरे
रहती थी मेरी सहेली हरदम साथ में मेरे।
एक दिन साथ न आई मेरी सहेली
उस दिन मैं पड़ गई अकेली
देख अकेली वह मेरे पास आया
कुछ मैं घबराई, कुछ दिल घबराया।
मैं देख ही रही थी ऊपरवाले की करामात
कि वह बोला “करनी है आप से अर्जेन्ट बात”
आपस में पहचान कराई
फिर बोला “आपकी सहेली नहीं आई”।
यह सुन मैं थोड़ा सकपकाई
पर संभलते हुए मैंने कहा
“उसका लेक्चर है चल रहा”।
इतने में उसने लिफाफा बढ़ाया
जिस पर था खूब सेंट लगाया
गुलाबी लिफाफा देख दिल धड़का
पर पता नहीं क्यों यह बायॉं नयन फड़का।
मुझे लगा मेरे भाग्य जागे
लिफाफा बढ़ा वह बोला आगे
“आप मेरा इतना काम करेंगी क्या
यह लेटर उस तक देंगी पहुंचा”
“किसे”
“उसे ! अरे वही जीन्स वाली मेरी हूर”
यह सुन मेरे सपनों का ताजमहल हुआ चकनाचूर
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4 years ago
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