अब तो मुझको चलना होगा,हूँ उगता सूरज ढलना होगा,
निशा तरसती आँखें लेकर उन आँखों को जलना होगा।
अब तो मुझको........
बंधन मुझको रोक न पाए,सृष्टि ने हैं नियम बँधाए,
आज शिखर पर पहुँचे है जो,कल समतल पर चलना होगा।
अब तो मुझको.........
राज़ यही है,भेद यही है,हर पीड़ा का लेप यही है,
आना जाना इक क्रिया है,इस क्रिया में पलना होगा|
अब तो मुझको.........
- नीलम जयदेव
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