मुकम्मल हर वो सितारा होगा फलक,
के चांद को सूरज तक जाना ही होगा
माना कि धुंध है, कुछ राहें कांटों भरी है,
पांव के छालों को भी फूट के रोना आया है
, संघर्ष से तपे, वो कुन्दन को कोहिनूर बनाना है ।।
मंजिलें अधूरी है अभी विरासत के चिराग को तख्तों ताज पे
बिठाकर जाना है कुछ रस्में, कुछ कसमें अभी
निभाना हैइ स बेटी की दुआ भी शामिल है
रूखत्सर है हर मंज़र अभी तो मोड़ पर मिलना बाकी है।
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