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रिश्तों की खूबसूरती

                
                                                                                 
                            रिश्तों की खूबसूरती
                                                                                                

मेरे पास एक बेशकीमती नायाब है,

न हीरे का न ही जवाहर का
न मोतीयों के झालर का

, वो है तो बस सुर्ख गुलाब की
मखमली पंखुड़ियों सा

स्वाति नक्षत्र की बूंद सा,
नीले नभ के असंख्य तारों के

बीच टिमटिमाते सितारों सा
चांद की चंद्रप्रभा बन आंखों का सुकून सा
ये कुछ नायाब रिश्तों के एहसास है

जो दिमाग से नहीं दिल के जज्बातों से जुड़े होते हैं,
एक बहन के लिए भाई सा,
बेटी के लिए पिता सा जो एहसास हो

वो एक ही शख्स से जुड़े एहसास है।
और वो रिश्ता है एक साली का जीजा हां।
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2 months ago

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