मन व्याकुल है हलाहल पीने जैसे
हाल की अनुभूति है
परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा ही
एकमात्र विकल्प मजबूरी है।
क्या करें हालात ही बदतर हैं, आंसूओं से भी गये गुजरे हैं
सुना है आंसुओं की कीमत भी बेशकीमती है
तीन बूंद रक्त से मिलने पर एक बूंद आंसू बनते हैं
लेकिन हालात ऐसे होते हैं कि बेसाख्ता ये आंसू
ही पलकों पर भारी मोतियों की तरह ढ़लके होते हैं
जब दिल दुखता है तो आंखें छलक जाती हैं
जब दिल खुश होता है तो खुशी में ये आंसू छलक आती हैं
पर ये क्या बेबसी है परीक्षा के परिणाम की प्रतीक्षा में
ये आंसू न अंदर है न बाहर है
अविरल घुटन और बेचैनी का एहसास है
किसी बेरोजगार से पूछो परीक्षा के प्रतीक्षा कैसी होती है
जैसे कुंए के पास खड़ा प्यासा पानी के लिए पिपासा होता है
वैसे ही प्रतीक्षा करना भी मजबूरी होती है
प्रारब्ध की नहीं चिंता प्रतीक्षा करना विकट है
इसकी है सबसे बड़ी चिंता।
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1 month ago
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