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मेरे सपने..

                
                                                                                 
                            ऐ डूबते सूरज तुझे मेरा नमन
                                                                                                

कहां जा रहे हो ?

मेरे सपनो को बुला रहे हो
जाते जाते अरज तो सुन लो

डूबते को तिनके का सहारा दे दो।
मेरा इक ही सपना है
,
मिट्टी का हो घर आंगन ,
घरौंदा ही सही पर हो अपना ,

मिट्टी का चूल्हा हो उसमें तेरी ही आग हो
पका लूं मैं अपनी रसोई ,थोड़ी सी तुझको

भोग लगाकर मैं तृप्त हो जाऊं
ऐ डूबते सूरज तुझे मेरा नमन।

सूरज से थोड़ी सी आग,
बादलों से पानी ले लूं।

अमृत है वर्षा का पानी
हे पवन देव! सुन ले इक अरज हमारी

हवाओं से कह दो ज़रा
मेरे घर आंगन में लगे पास के पीपल में

अपनी हवाओं का डेरा डाले
, ठंडी ठंडी हवाओं का बसेरा हो।

मेरे आंगन में गुले गुलजार हो।
बहारों का मौसम हो
,तेरे ही कारण ये अरज संभव हो

मेरा रोम रोम हे सूर्य देव
तेरा ही शुक्रगुजार हो।
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2 months ago

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