खामोशी यूं ही करवट नहीं लेती
गमों को समेटने में वक्त जरूर लगता है ।
जिसे सहना,सुनना आता है
उसे कहना और सुनाना भी आता है
ग़म तो इस बात का है कि
गम कहें भी तो किससे कोई
सुनने को अपना ही नहीं है।
कभी सुबह से शाम अपनों
की फौज जहां होती थी
समंदर में मेरे जीवन की नैया
डूबने को हुई तो पतवारों को भी
खींच लिया अपनों ने ,वो तो
कर्मों की थी खूबसूरती जो गैरों
ने थाम लिया जीवन की नैया को
पार खड़ी हूँ सफलता के करीब हूँ
खामोशियों के साथ आत्मविश्वास से लबरेज हूँ
अकेली हूँ साहस के साथ
ये खामोशी की ताकत है
जिंदा हूँ जिंदादिली के साथ।
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2 months ago
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