ईश्वर की है माया कहीं धूप कहीं छाया
रजनी की निशीथ काया,भोर का उजियारा
उमंग जगाए,मीठे मीठे सपनों की याद दिलाए,
सूरज की गति मन को भरमाए।
दिनभर की आपाधापी,में सपनों के पीछे भागे मन
निराशा और हताशा में गुजारे हुए हर पल
जीवनसाथी के ताने,सिंहराए मन
असफलताएं ही क्यों गले लगाएं,
उसके ये ज्वलंत सवालों से मन घबराए।
सूरज के सवेरों के साथ जगे मन
कुछ काम करें हम ऐसे कि दिन बन जाए
सोचता है थका सा मन क्यों न अपने ही हुनर
आजमाएं हम,औरों के भरोसे क्यों जीवन बिताएं हम।
चलते चलते थके पांवों से निहारे गगन
सूरज चढ़ने को आया ,दिन ढलने को तरसाए
पत्थरों की चट्टानों से नजरें बारंबार टकराए,
बचपन की वो हकीकत आज दिल में सुलगाए
बड़े बुजुर्गो की नसीहत याद सताए,
कहते थे वो अपने हुनर से ही किस्मत चमकती है
चांद सितारों से आगे निकलने की उमंग जगाती हैं।
छेनी और हथौड़ी लेकर हाथ ,चट्टानों पे उकेरे तस्वीरें
भीतर मन का शिल्पकार पुकारे क्यों न इससे ही किस्मत संवारें
पत्थरों पर तरासे शिल्पी की कल्पनाएं उभर कर आई
खूबसूरती की मिसाल सुंदर और चमकदार।
जाते ,चलते फिरते राही की नजरें पत्थर की मूरत से टकराए
देख कर हर कोई ठहर जाए,शिल्पी से उसकी कीमत लगाए।
थोड़ी सी मेहनत उसके नसीबों को चमकाएं।
हुनर से तराशे मूरत की क्या वो कीमत लगाए
सोच न पाए मन उसका मन ही मन वो मुस्काए।
भोर के सपनों की याद आए ,सपने सच होने को आए।
अपनी किस्मत अपने ही हाथों में है ये सोचकर वो मुस्काए।
ईश्वर की है माया कहीं धूप कहीं छाया।।
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2 months ago
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