प्रेम, स्नेह की धारा बहाया करो,
मधुर मुस्कान की छटा बिखराया करो
अपनों से ही नहीं परायों को भी गले से लगाया करो।
सुनो ऐ बेटियां ,तुमसे ही रौशन होती है घर की खुशहाली
प्यार बांटना हिलमिल कर रहा करो
जगमग दीप जलाया करो
अपने ही घर नहीं औरों के घर खुशियां बिखेरा करो।
मां की ममता,पिता के संस्कार से
चहुंओर शिक्षा का दान किया करो
बेटी कुल की मर्यादा ,और संस्कृति का ख्याल रखा करो,
अपने ही सत्कर्मों से पिता का मान बढ़ाया करो।
करो काम ऐसे कि जग में बेटियों की महानता कायम रहे
साहस शौर्य और सहनशीलता की प्रतिमूर्ति बनी रहो,
उत्तम भोजन, स्वच्छता का सौन्दर्य
सबको बतलाया करो
जीवन जीने के ढंग सिखाया करो
अनपढ़ों को साक्षर बनाया करो,
एक नारी से परिवार शिक्षित होता है,
परिवार से ही समाज बनता है
शिक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल रखा करो।
शिक्षा का अर्थ व्यापक है जीवन में
इसका प्रयोग दिखाया करो।
गलत का विरोध भी सलीके से किया करो
अन्याय का प्रतिकार हमेशा किया करो
हर ज़ुल्म का जवाब दिया करो।
अन्याय सहना भी पाप है ये सबको बताया करो।
नारी ही शक्ति है सृजन है जननी है
प्रकृति की रचना है तो विध्वंस भी है ये सबको बताया करो।
नारी ही नारायणी है इसके वजूद की प्रतिष्ठा कायम करो।
बेटियों का मन कोमल है
लेकिन कमजोर नहीं ये सबको बताया करो।
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
2 months ago
कमेंट
कमेंट X