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आंसू से भरे नैना..

                
                                                                                 
                            आज क्या बात हो गयी,दिल दुखा हो जैसे
                                                                                                

आंसुओं की बरसात आ गयी,

पलकों पे बूंदें ढ़लके जैसे
दिल पर पत्थर रख दिया जैसे

क्या करूं और क्या न करूं
क्या सोचूं और क्या न सोचूं

क्या सही है क्या ग़लत है
इसी उलझन में हम और सिर्फ हम हैं

कोई नहीं ऐसा जिसे हाल ए दिल
करूं साझा।
इन आंसुओं की कसम
दम निकल जाए मेरा कर लो चाहे कितने सितम

दिल से सच और सिर्फ सच की ही दुआ निकलेगी ओ बेरहम

बचपन से जवानी तक कभी ख्वाहिश जाहिर न की
मुझे गैर समझा कोई बात नहीं ,तू मुझे समझ सके
तेरी औकात नहीं सच्चे रिश्ते को समझ पाना आसान नहीं

झूठ और फरेब की तिलस्मी दूनिया में
खोकर हमें छोटा कहना बड़ा आसान है

सोच छोटी सी सही ईमान की भूख रहती है मुझे
साफगोई की मशाल जलती है यहां
लाचार हूं कमजोर नहीं ,मजबूर हूं मजलूम नहीं
तेरे दर पे सर झुकाने ,की औकात नहीं
छोटी हूं मगर बड़े होने का अभिमान नहीं
ग़लतफहमी तो हो सकती है रिश्तों के दरम्यान
मगर गुनहगार नहीं ,तेरी हर अनदेखियों की गवाह हूं मैं
रिश्तों की तलबगार हूं पर तेरे एहसान की कद्रदान भी हूं

चुकाऊं कैसे एहसान तेरा
दिल पर लगाए जो हसीन जख्म मेरे
आंसुओं की हो रही बरसात
छुपाऊं कैसे दिल जो हो रहा जार, बेजार,।
बेचैनी,के आलम में करूं कैसे तेरा ऐतबार
बचपन के रिश्तों को पल भर में तोड़ा,तुमने
क्या खता थी मेरी बता तो देते
एहसानों का जिक्र करते हो
मुझे छोटी सोच का इंसान बताते हो ,
आईना तो खुद देखा होता
,अश्क तेरा ही तुझमें दिखाई देता
गिरेबान ही सही मगर एतबार तो होता
ईमान के पक्के नहीं रिश्तों में बेईमान हो तुम
पवित्र से रिश्तों पे लगाया हुआ इल्जाम हो तुम
आंसुओं से भरे नयना लेते नहीं थमने का नाम,
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1 month ago

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